क्यों सरकार मनचाहे पैसा छाप कर देश की गरीबी नहीं मिटा देती ?

क्यों सरकार मनचाहे पैसा छाप कर देश की गरीबी नहीं मिटा देती ?


क्या आप ने कभी सोचा हे की क्यों सरकार मन चाहे पैसा छाप कर सबको अमीर नहीं बना देती?  दोस्तो  ऐसा नहीं हे की सरकार अपनी जनता को दुःखी देखना चाहती हो,पर रुपए छापने के भी कुछ कार्यवाही होती हे जिसको अपने देश की सरकार को पालन करना पड़ता हे। दोस्तों चलिए तो अब जानते हे की ऐसी कौन सी कार्यवाही है जो देश को कुछ लिमिट से ज्यादा पैसे छापने की इज़ाज़त नहीं देता ?

दोस्तों इस बात को हम एक धारणा से समझते हे।  मान लो की अगर सरकार सब के खातों में सौ सौ करोड़ रुपये डाल देता हे तो कितना अच्छा होगा हेना ?  अगर ऐसा होता हे तो सबकी प्रोब्लेम्स ही ख़त्म हो जाये गी ,कोई भी भूखा नहीं सोयेगा, कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा, सबके पास ढेर सारे  रुपए होंगे, इंसान जो चाहेगा वो ख़रीद सकेगा, और उनके सपनो को पूरा कर पायेगा। और सुनने में कितना अच्छा लगेगा हेना की  INDIA IS THE RICHEST COUNTRY IN THE WORLD. 

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Indian Rupees
                                                    
लेकिन दोस्तों ये भी तो सोचो की अगर सब लोगो के पास ढ़ेर सारे रुपए होंगे तो वो काम क्यों करेंगे? दोस्तों सब लोग काम सिर्फ पैसा कमाने के लिए ही करते हे हेना? अगर मेरे पास ढ़ेर सारा पैसा हो तो दोस्तों में भी काम नहीं करूँगा, और तो और किसान भी खेती नही करेगा, बिज़नेसमेन भी बिज़नेस नहीं करेगा, इससे आपको इस बात का तो अंदाजा हो गया होगा की ये सारा खेल पैसो का ही हे। अब में आप को सीधा पॉइंट पे ले चलता हु।

किसी भी देश में पैसा यानि मुद्रा घूमने की एक चैन होती हे। मान लो की आप के कारण  मुझे पैसा मिलता हे। यही पैसा में मेरे बच्चो को पढ़ने के लिए स्कूल में देता हु। स्कूल के प्रोफेसर सैलेरी के माध्यम से मिला हुआ पैसा राशन खरीदने में लगाते हे। अगर एक ने भी पैसा कमाना छोड़ दिया तो यह चैन टूट जाएगी और पूरी सिस्टम डिस्टब हो जायेगी। और कोई काम नहीं करेगा यानि कोई भी चीज वस्तु या सेवाओ का निर्माण ही नहीं होगा। तब आप वस्तुओं को खरीदेंगे केसे ? 

आपके पास भले ही ढेर सारा पैसा होगा पर जो चीज या वस्तु आप खरीदना चाहते हो उस चीज या वस्तु का उत्पादन करने वाला कोई नहीं होगा क्युकी सबके पास बोहोत सारा पैसा है ओर अगर सबके पास ढेर सारा पैसा है तो वो भला कमाने क्यों जाए।ओर तब पैसों की कोई वैल्यू ही नहीं रहेगी की जिससे हम कुछ खरीद सके।
 

सरकार के पैसे छापने का सिस्टम क्या है?

आप के इस सवाल का सीधा जवाब में एक फार्मूले से देना आवश्यक समझता हु। देश  में बनने वाली वस्तु या सेवाओं की किंमत इस देश की मुद्रा यानि पैसा के बराबर होती हे।

सरकार देश में पैदा होने वाली वस्तु या सेवा की वैल्यू का मुलियांकन करती हे और हर साल देश में पैदा हुई  सेवाओं या वस्तु की जितनी कीमत होती हे इतनी ही कीमत की मुद्रा यानि पैसा छाप सकती हे.और यह संतुलन बनाये रखना पड़ता हे।

यदी जरा सा भी संतुलन बिगड़ गया तो पुरे देश को FINANCIAL LOSS का सामना करना पड़ सकता हे। और पैसे छाप ने के लिए कई और छोटे छोटे पैरामीटर्स भी आवश्यक हे जैसे की देश का GDP , CENTRAL BANK OF INDIA , GOVERNMENT , RBI और कई सारे।
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Balancing of Printing money
                                                                 
अगर यूही सरकार पैसे छाप छाप कर सबको अमीर बना देगी तो कोई काम नही करेगा। इस वजह से सेवा या वस्तुएं तो पैदा होगी ही नहीं पर बची हुई वस्तु के भी दाम आसमान छुने लगेंगे। फिर एक दिन ऐसा आ जायेगा की किसी के पास एक बोरी गेहू हे और उसे लेने वाले बहुत सारे लोग हे और जिस एक बोरी गेहू की कीमत 1500/-होती होगी वही बोरी गेहू हम 50,000/- या 1,00,000/- में भी नहीं ख़रीद पाएंगे क्युकी किसान ख़ेती नहीं करेगा। तो तब वस्तु या सेवा का उत्पादन नहीं होगा और उसकी मांग तो जितनी पहले थी इतनी तो रहेगी ही ना ? तो सोचो दोस्तो फिर क्या होगा ?

इस लिए एक गेहू की बोरी जो पहले 1500/- रुपए में मिलती थी वो शायद आपको 1,00,000/- में या शायद इतने में भी न मिले।यानि वस्तु के भाव कई गुना बढ़ जायेंगे। दुनिया के दो देशो ने यह गलती की थी उसका नाम जर्मनी और ज़िम्बावे हे।  तो चलिए जानते है क्या हुआ था उन दो देशों के साथ।


जर्मनी :-


जर्मनी ने पहले विश्व युद्ध में दूसरे देशो के पास से बहुत क़र्ज़ लिया था और युद्ध खत्म होते होतेे जर्मनी इतना क़र्ज़ में डूब गया था की क़र्ज़ चुकाने का कोई रास्ता ही नहीं मिल रहा था फिर वाहा कि सरकार ने इतना पैसा छापा की पैसे की कोई वैल्यू ही नहीं रही और क़र्ज़ तो पुरा न हो सका पर पूरा देश गरीबी में डूब गया उसकी इकोनॉमी गिर गई और पूरी तरह से जर्मनी देश बर्बाद हो गया।

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0 Value of Currency



ज़िम्बावे :-

ज़िम्बावे की सरकार ने अपने देश की गरीबी मिटाने के लिए 2001 में ढेर सारे पैसा छाप ना चालू किया और 2008 तक खूब पैसा छापा और फिर इस देश की हालत ऐसी हो गई की एक ब्रेड का पैकेट के लिए भी दो-तीन बोरी भर कर पैसा लाना पड़ता था। तब वहा की सरकार ने पैसे को इल्लीगल यानी जाली नोट घोसित कर दिया और 2008 में दूसरे देश की मुद्रा यानि पैसा को अपने देश में लीगल किया और धीरे धीरे ज़िम्बावे खड़ा हो पाया।

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Infinite Money in 1 Bread
                                                           
इस लिए सरकार अनलिमिटेड मुद्रा यानि पैसा छाप कर सबको अमीर नहीं बना सकती या देश की गरीबी नहीं मिटा सकती।


My opinion:- 

तो मेरी राय यही हे की हमें अमीर बनने के लिए या देश को अमीर बनाने के लिए और देश की गरीबी मिटाने के लिए हो सके उतनी महेनत करनी चाहिए और फिर में,आप और अपना देश तीनो अमीर बने ऐसा सपना देखना चाहिए। तो दोस्तो अब आपको बोहोत अच्छे से ये बात समझ आ गई होगी कि क्यों सरकार मनचाहे उतना पैसा नहीं छाप सकती।
                   
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