What is the difference between ferrous and non-ferrous metals in Hindi ?

Ferrous और Non-Ferrous मेटल किसे कहा जाता है।


What is ferrous metals in Hindi । फेरस धातु किसे कहा जाता है ?

ferrous मेटल उसे कहा जाता है जिसमें आईरन का समावेश (Iron content) ज्यादा होता है । जो धातु की Tensile Strength (टटेनसाइल) और Durability ज्यादा होती है। इसलिए फेरस धातु (Metal) का प्रयोग घर के कंस्ट्रक्शन और Electricity में कई तरह के कामों के लिए किया जाता है।

कोनसी कोनसी  Metals को Ferrous Metal कहा जाता है। Ferrous metals examples in Hindi 

जिसभी Metal में Iron की मात्रा होती हे उस धातु या मेटल को फेरस मेटल कहा जाता हे। ज्यादातर मेटल में आयरन का प्रयोग इसलिए किया जाता हे क्युकि उनमे tensile strength और durability ज़्यादा देखने को मिलती हे। ऐसी metal का ज़्यादातर प्रयोग building के construction में किया जाता हे। 


What is Non-Ferrous ferrous metals in Hindi । नॉन फेरस धातु किसे कहा जाता है ? 

जिसके  Metal में Iron का समावेश नहीं किया जाता, उसे नॉन फेरस Non-Ferrous मेटल कहा जाता है। नॉन फेरस मेटल का वजन (Weight) फेरस मेटल की तुलना में कम होता है। और नॉन फेरस मेटल को आसानी से हैमरिंग द्वारा मनचाहे Shape में उसको ढला कर नया Shape दिया जा सकता है। और नॉन फेरस मेटल का वजन हल्का होने का कारण मेटल में रहे आयरन (iron) की मात्रा पे आधारित होता हे।  मेटल में जितनी आयरन की मात्रा ज्यादा होती हे उतना ही मेटल का वज़न ज्यादा होता हे। 

कोनसी कोनसी  Metals को Non-Ferrous Metal कहा जाता है। Non-Ferrous metals examples in Hindi 

एलुमिनियम (Aluminum), ब्रास (Brass), लीड (Lead), ब्रोंज (Bronze) और कॉपर (Copper) ये सारि Metal को Non-ferrous Metal के रूप में पहचाना जाता हे। इसके अलावा कही ऐसी कीमती metals जैसे की सोना (Gold ) चांदी (Silver) और टाइटेनियम (Titanium)


Non-Ferrous Metal का इस्तेमाल और उसके उदाहरण 

एलुमिनियम (Aluminum)

एलुमिनियम केवल हल्का ही नहीं लेकिन इसको आसानी से welding और Machining किया जा सकता है और इसका प्रयोग ज्यादातर एयरक्राफ्ट (Aircraft) बनाने में किया जाता हे। और बोहोत सी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में किया जाता हे। 

कॉपर (Copper)

कॉपर highly ductile औरmelable  औरelectricity का  good conductor होता है इसलिए इसका ज़्यादातर प्रयोग इलेक्ट्रिक वायर में सबसे ज्यादा किया जाता है। 

लीड (Lead)

लीड का मेल्टिंग प्वाइंट (Melting point) बहुत कम (low) होता है और उसकी Tensile strength भी बहुत कम होती है।  इसलिए इसका ज्यादातर इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक पावर, केबल्स cables बनाने में और बैटरी battery बनाने में किया जाता है। 

जितनी भी नॉन फेरस मेटल हे उसमे कभी भी आपको जंक (Rust) देखने को नहीं मिलेगी क्यू की उनमे आयरन (Iron) की मात्रा नहीं होती।  और जिसमे आयरन की मात्रा नहीं होती उसपर कभी भी जंक नहीं लगता। 


Properties of Ferrous & Non-Ferrous metal in Hindi। धातु और अधातु के गुण हिंदी में। 

1) Ferrous metal मे Magnetic Properties होती है। यानी कि जब हम Magnet से फेरस धातू को जोड़ते हैं, तो वह चिपक जाती है। जबकि नॉन फेरस मेटल में ऐसा नहीं होता है। वो metal कभी भी  चुम्बक से नही चिपकेगा क्योंकि उसमें Magnetic Properties देखने को नहीं मिलती।

2) फेरस मेटल की मैग्नेटिक प्रॉपर्टी होने के कारण उसका प्रयोग Motor बनाने में और Electric Appliance बनाने में किया जाता है।


Rust and Corrosion Resistence in Hindi 

1) Ferrous metal में iron की मात्रा ज्यादा देखने को मिलता है उसके कारण आमतौर पर मेटल Rusted  हो जाती है।  

2) Non-Ferrous Metal  में आयरन की मात्रा देखने को नहीं मिलती इसलिए, नॉन फेरस मेटल में Higher Corrosion और Rust Resistence होता हे।  


वज़न (Weight)

फेरस मेटल नॉन फेरस मेटल की तुलना में भारी होता है यानी कि वजनदार होता है। 


क़ीमत (Cost)

नॉन फेरस मेटल, फेरस मेटल की तुलना में ज्यादा महंगी (Expensive) है, क्योंकि मार्केट में नॉन फेरस मेटल की डिमांड ज्यादा देखने को मिलती है। 


रीसाइक्लिंग ( Recycling)

दोनों फेरस और नॉन फेरस मेटल को रीसायकल किया जा सकता है। और Non Ferrous metal को बार-बार रीसाइक्लिंग किया जा सकता है। क्योंकि उसकी Chemical Properties वैसी की वैसी ही रहती है। जबकि Ferrous Metal को पहले Melt करना पड़ता है, ऊसके बाद Purified करके उसे बनाया जाता है।

Ferrous Metal का इस्तेमाल और उसके उदाहरण 

Ferrous Metal में Steel और Cast-Iron का समावेश होता हे। 

 स्टील Steel 

स्टील मेटल अपनी Toughness और Machineality के लिए जाना जाता है। इनका इस्तेमाल ज्यादातर कंस्ट्रक्शन और मैन्यूफैक्चरिंग में किया जाता है। 

कास्ट आयन ( Cast-iron)

कास्ट आयरन hard होता है और कास्ट आयन की मदद से मशीन टूल्स बनाया जा सकता है। 

Kalpesh Solanki

नमस्कार दोस्तों, इस ब्लॉग को बनाने का मेरा मुख्य हेतु भारत के यानी मेरे देश के लोगो को हिंदी भाषा में जानकारी देना है। में ब्लॉग इसलिए लिखता हूं ताकि में लोगो को सही ओर सटीक जानकारी इंग्लिश की बजाय हिंदी में दे सकु। में किसी भी निश्चित टॉपिक पे अपना ब्लॉग नहीं बनाता। मुझे जो भी अच्छा लगता है में उसी पे ब्लॉग बनाना पसंद करता हूं। ओर कहीं बार में ऐसे भी ब्लॉग लिखना पसंद करता हूं जिसमें मुझे भी थोड़ा बोहोत सीखने को मिले। तो दोस्तो में ये उम्मीद करता हूं कि आपको भी हमारा ब्लॉग पसंद आता होगा।

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