What is Mechanical Coupling ? मेकेनिकल कपलिंग क्या है ? उसका उपयोग क्या है? और ये कितने प्रकार के होते है ?
byKalpesh Solanki-
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What is Mechanical Coupling ? मेकेनिकल कपलिंग क्या है ? उसका उपयोग क्या है? और ये कितने प्रकार के होते है ?
What is Coupling? Types of Coupling
मेकेनिकल कपलिंग एक ऐसा साधन (Device) है जो दो शाफ्टो को आपस में जोड़ने का कार्य करता है। जिस में एक शाफ्ट को ड्राइविंग (Driving) शाफ्ट और दूसरे शाफ़्ट को ड्रिवन (Driven) शाफ्ट कहा जाता है। कपलिंग का मुख्य कार्य दो शाफ्ट को जोड़कर पॉवर ट्रांसमिट करना है।
कपलिंग करना क्यों जरूरी होता है ?
ये सवाल अक्सर हमारे दिमाग़ में आता होगा की दो शाफ्ट को जोड़ने के लिए कपलिंग ही क्यों ??
क्या हम दो शाफ्ट को वेल्डिंग(Welding) या गियर बॉक्स( Gear Box) का उपयोग कर आपस में नही जोड़ सकते ? जी नहीं दोस्तो हम ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकते। इसके पीछे भी कही सारे ऐसे कारण है। तो चलिए जानते हे की आखिर कार हम क्यू कपलिंग को ज़्यादा महत्त्व देते हे।
इसके बारे में जाने के लिए आपको नीचे के लिखे गए आर्टिकल को पढ़ना होगा जो बेहद ही आसान भाषा में समझाया गया हे।
Transmits Power ( ट्रांसमिट पॉवर):- मेकेनिकल कपलिंग
दोस्तों कपलिंग ड्राइविंग और ड्रिवन शाफ्ट को बेहद ही अच्छे और आसानी से जोड़ने या कनेक्ट करता है जिससे कि पॉवर ट्रांसमिट भी बोहोत अच्छे से होता है। यदि हम कपलिंग की जगह पर वेल्डिंग या गियर बॉक्स का उपयोग करे तो जितना पॉवर ट्रांसमिट होना चाहिए उतना पॉवर ट्रांसमिट नहीं होता ।
Absorbs Misalignment (अब्सोर्ब मिस एलाइनमेंट):-
मिस एलाइनमेंट यानी कि दो शाफ्ट का एक लाइन में ना होना। मैकेनिकल कपलिंग की वजह से मिस एलाइनमेंट हुए शाफ्ट को आसानी से एक लाइन में जोड़ा जा सकता है जो वेल्डिंग या गियर बॉक्स से बेहद ही मुश्किल होता है। और कपलिंग के इस्तेमाल से एक और फायदा ये भी होता हे की हम जब चाहे तब दो जुडी हुई शाफ़्ट को आसानी से अलग कर सकते हे। जो वेल्डिंग में बेहद ही मुश्किल होता हे। और वेल्डिंग में शाफ़्ट के ख़राब होने का ख़तरा भी सबसे ज्यादा होता हे।
Absorb Shock and Vibration (अब्सोर्ब शॉक और वाइब्रेशन)
मैकेनिकल कपलिंग शॉक(Shock) और वाइब्रेशन(Vibration) को अब्सोर्ब करने में बेहद ही अहेम भूमिका प्रदान करता है। जो मोटर्स या इंजिन कि लाइफ को भी बढ़ाता है। अगर वेल्डिंग या गियर बॉक्स की बात करे तो वो शॉक और वाइब्रेशन को काफी कम अब्सोर्ब कर पाते है। और गियरबॉक्स के उपयोग से नॉइज़ पॉलुशन का भी ख़तरा रहता हे।
Protections against Overloading (प्रोटेक्शन अगेंस्ट ओवरलोडिंग):-
कई बार शाफ्ट का जाम होना या ओवर लोड होना इस प्रकार के प्रॉबलम के सॉल्यूशंस के लिए भी कपलिंग का इस्तेमाल करना बेहद ही जरूरी हो जाता है, क्यों की कपलिंग ज्यादा से ज्यादा लोड को सहन करने की ताक़त रखता है। और वेल्डिंग या गियर बॉक्स में लोड को सहन करने की शक्ति नहीं होती। और अगर होती हे तो भी बोहोत कम होती हे। तो दोस्तो अब आप ये जरूर समझ पाए होंगे की आख़िरकार क्यों वेल्डिंग या गियरबॉक्स का उपयोग दो शाफ्टो को जोड़ने में नहीं किया जाता और उसकी बजाय कपलिंग का इस्तेमाल किया जाता हे।
कपलिंग मुख्य 6 प्रकार के होते है । हर कपलिंग का उपयोग उनके application के हिसाब से होता है।
1] Jaw Coupling (जॉ कपलिंग):-
यह एक ऐसे प्रकार का मेकेनिकल कपलिंग है जिसमें फ्लेक्स मटेरियल (Flex material) का उपयोग होता है जिससे पॉवर ट्रांसमिट होता है। और इस प्रकार के कपलिंग का ज्यादातर प्रयोग स्मॉल अमाउंट (small amount) के पॉवर को ट्रांसमिट करने में होता है।
Jaw Coupling
अगर आप ऊपर दिए गए चित्र में देखे तो आपको एक लाल कलर का फ्लेक्स मटेरियल दिख रहा होगा जो इस कपलिंग में मुख्य किरदार प्रदान करता हे। ये फ्लेक्स मटेरियल (Flex Material) तीन चीजों से बना होता हे। 1) Hytral 2) NBR 3) Polyrathane
यह उपर दी गई फोटो में आप देख सकते हो कि जो ऑरेंज कलर का है वो फ्लेक्स मटेरियल है जो jaw Coupling में इस्तेमाल होता है
2)Sleeve Coupling ( स्लीव कपलिंग):-
स्लीव कपलिंग एक मोटा (Thick) और छेद वाला(Hollow) सिलिंडर आकार का होता है।और उसमें सपोर्टर लगे होते है कि जिससे वो ड्राइविंग और ड्रिवन शाफ्ट को कनेक्ट करने का काम करता है। स्लीव कपलिंग का काम छोटे अमाउंट का टॉर्क को ट्रांसफर करने के लिए होता है। और शाफ़्ट के बीच के छोटे छोटे मिस एलाइनमनेट को एडजेस्ट करने में इस प्रकार के कपलिंग की मुख्य भूमिका हे।
Sleeve Coupling
3) Flange Coupling (फ्लैंज कपलिंग):
फ्लैंज कपलिंग बिल्कुल स्लीव कपलिंग जैसा ही होता है पर इस कपलिंग में स्लीव के अराउंड फ्लैंज लगी होती है। आप निचे दिए गए फिगर में देख सकते हे। जहा एक शाफ़्ट जो ड्राइविंग और दूसरी शाफ़्ट ड्रिवन शाफ़्ट हे और जो पिले कलर के भाग को फ्लैंज कहते हे।
Flange Coupling
4) Gear Coupling (गियर कपलिंग):-
गियर कपलिंग फ़्लेंज और हब को मिलाकर बनाया जाता है। नीचे दिए गए फोटो में आप देख सकते है की हब के ऊपर क्राउन इंटरनल गियर लगे होते है और दोनों स्लीव में एक्सटर्नल गियर लगे होते है। और स्लीव बोल्ट द्वारा जुड़े होते है। एक समान पॉवर ट्रांसमिट करने के लिए गियर स्पीड का रेशों 1:1 रखा जाता है। गियर कपलिंग का उपयोग बोहोत ज्यादा पॉवर को ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है पर इस कपलिंग को बार बार लुब्रिकेंट (Oil) करना पड़ता है। यानी की गियर के बिच के फ्रिक्शन को कम करने के लिए लुब्रिकेशन(Lubrication) यानी की गियर में ओयेल (oil) डाला जाता हे।
Gear Coupling
5) Magnetic Coupling (मैगनेटिक कपलिंग):-
मैगनेटिक कपलिंग एक ऐसा कपलिंग है जो बिना किसी फिजिकल कॉन्टैक्ट के गति को ट्रांसफर करता है। मैगनेटिक कपलिंग से मैगनेटिक फील्ड पैदा होती है जिससे पॉवर ट्रांसमिट होता है ।
मैग्नेटिक कपलिंग
इस प्रकार के कपलिंग का ज्यादातर उपयोग सेन्ट्रीफ्यूगल पंप (Centrifugal pump) or इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्लच (Electromagnetic clutch) में किया जाता हे।
यूनिवर्सल कपलिंग को हुक'स कपलिंग भी कहा जाता हे। इस प्रकार के कपलिंग का उपयोग नोन अलाइनमेंट शाफ्ट को कनेक्ट करने में होता है जिससे कि वो रोटरी मोशन को ट्रांसमिट कर सके। इस प्रकार के कपलिंग का ज्यादातर उपयोग हाई पॉवर ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता हे।
यूनिवर्सल कपलिंग
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अगर आपको कपलिंग वीडियो के माध्यम से समझना हो तो आप निचे दी गई वीडियो पे क्लिक करके देख सकते हे।
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