why prices End with 99 & 999 ?

क्यों प्राइज 99 और  999 और 9999 जैसी रखी जाती हे ?

में आशा करता हु की आप और आपका परिवार ऐसे भयानक कोरोना वायरस के काल में सुरक्षित होंगे। आपको कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करना होगा और इसी के साथ साथ कुछ बातो का ध्यान भी रखना होगा। और वो कोनसी बाते हे उसे जानने के लिए आप निचे दी गई लिंक पे जाके देख सकते हे और खुदको और अपने परिवार को इस खतरनाक वायरस से दूर रख सकते हे। 




Introduction : -   

Phone खरीदना हे ? सिर्फ 9999/- में । Shirt खरीदना हे ? सिर्फ 599/- में । Pent खरीदना हे ? सिर्फ 499/- में। अब तो Jio का Recharge भी 399 में हो रहा हे। अरे भाई ये फंडा हे क्या ? ऐसी प्राइज टेग क्यों रखी जाती हे ? बेचने वाले 1000 की प्राइज को 1 रुपये कम कर 999 में बेचकर किसको फायदा पहुंचना चाहते हे ? 

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Prices end 99 & 999 ect .

यह सब में आपको इसलिए बताना चाहता हु की जो फ़ायदा हमें खुदको  होना चाहिए, वो आज Seller उठा रहे हे। वह कैसे ? यह जानने के लिए बने रहे India Coverage के साथ। 

Invention  & Theory Behind The 99 , 999 etc.

99 और 999 जैसी प्राइज टेग को Charm Prices, Magical Prices, Psychological Prices कहा जाता हे। इसे समझ ने के लिए हमें दोनों Round off थियरी को  और Bargain signaling थियरी को समझना जरुरी हे, तो चलिए शुरू करते हे।  

Rounding Off Theory : -

हमारा दिमाग किसी भी वस्तु की क़ीमत को Left से Right पढ़ता हे। यानी एक उदाहरण से समझ ते है।
मान लो आपने एक स्पीकर खरीदा जिसकी कीमत 936 रुपए है जिसको हम नोसो छतीश पढ़ते है। यानी पहले हम Left Side का डिजिट पढ़ते है। ओर बचे 36 रुपए को हम अपने दिमाग में नहीं लेते।  

हम किसी भी वस्तु की क़ीमत को पहले के डिजिट यानि Left Side वाले डिजिट पर ज्यादा ध्यान दे ते हे। और पीछे कि कीमत पर इतना ध्यान नहीं देते मतलब ये है कि उस वेल्यू को Round Off करते हे।

ऊपर के उदाहरण को लेकर देखे तो अगर 6 महीने बाद अगर मुझे कोई पूछे कि आपने वो स्पीकर कितने में खरीदा था तो में उनको 900 रुपए ही बताऊंगा मुझे 36 रुपए याद नहीं रहेंगे । यानी मेरे दिमाग ने पहले वेल्यू (First Left Side Value) को देखकर पिछली वेल्यू को Round Off किया। 

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Psychological Illusion

2004 में एक Experiment किया गया। उस एक्सपेरिमेंट में कुछ 
रेंडम लोगो को चुनकर उन्हें 1000 रुपए दिए गए और चीजे खरीदने  को कहा गया। और बाद में देखा तो 98.5 % लोगो ने 99 और 999 जैसी प्राइज़ टेग वाली Commodity को ख़रीदा, जिससे उनको अपने पैसे कहा खर्च हो गए वो पता ही नहीं चला ओर जिसके कारण उनको दिया गया हुआ 1000 /- रुपियो का बजट टूट गया। 

यानि इससे ये साबित हुआ की Seller अपनी Selling बढ़ा ने के लिए Customer के दिमाग में Psychological Illusion पैदा करते हे।  


Bargain Signaling :- 

    कभी कभी वस्तुओं की कीमत अजीब तरह से रखी जाती हे जैसे की 844/- और 453/- जैसी, और ऐसी प्राइज वेल्यू रखकर Buyer के दिमाग में भ्रम पैदा करने की कोशिश करते हे की यह Seller हमें सबसे कम दामों में चीजे दे रहा हे। 


    चलो एक ओर उदाहरण से समझाता हु। 

    2005 में एक प्रयोग किया गया जिसमें एक Tooth Pest की वेल्यू 34 रुपये  रखी गई थी तब लोग उसे खरीद रहे थे। बाद में प्राइज को बढ़ा कर 39 रुपये किया गया तब भी Demand में कोई कटौती देखने को नहीं मिली, पर जब प्राइज को और बढ़ा कर 45 रुपये किया तब अचानक बिक्री में गिरावट देखने को मिली।

    बाद में साबित हुआ की जब प्राइज 34 से 39 किया तब Buyer को एहसास ही नहीं हुआ की कीमत बढ़ा हे क्योकि पहली वेल्यू  (First Left Side Digit) में कोई बदलाव नहीं आया। पहले भी 3 था और बाद में भी 3 ही रहा। और ऊपर मेने बताया की हमारा दिमाग सिर्फ पहली वेल्यू को देखकर प्राइज़ Round Off कर लेती हे।   

    जब पहला डिजिट में बदलाव दिखा यानी पहला डिजिट 3 से 4 हुआ तब अहसास हुआ की भाव बढ़ा हे की जिससे खरीदी में कटौती देखने को मिली। यह सब खेल हमारे मानसिकता का हे और उसमे हम कुछ कर भी नहीं सकते। हा अगर रोबोट होते तो बात ही कुछ और होती। यानि किसी भी जगह पर खरीदी करे तब ऐसी अटपटी वेल्यू या जिस वेल्यू के पीछे 9 दिखे ऐसी प्राइज टेग वाली वस्तु को देखकर हमें पूरी तरह से जागृत रेहेना चाहिए।

    हमने ऊपर देखा,ऐसा ही एक प्रयोग Schindler & Kibarian ने सन 1996 में किया था। तब जिन जिन वस्तुओं के भाव 1 रुपिये कम करके रखा गया था सबसे ज्यादा वही वस्तुए बिकी। यानि वस्तु की वेल्यू 1000 ही हे पर उसे प्राइज टेग पर 999 दिखाई जाती है यानि 1 रुपिये का अंतर के कारण लोगो के दिमाग में भ्रम पैदा किया जाता है और लोग बड़े शोख से वस्तुए खरीदते भी है । 

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    Schindler & Kibarian Experiment Result

    यानि 999 जैसे डिजिट में प्राइज को Finish करके वस्तु की सच्ची वेल्यू को कम दिखाने में मदद मिलती हे। हां .. पर यह तभी मुमकिन होता है जब Left Side की वेल्यू को कम से कम रखा जाये।     

    '' जागो ग्राहक जागो ''

    किसको होगा फायदा :- 


    फायदा होगा Seller को और नुकशान होगा हमें, ओर आपको। हमारे दिमाग में भ्रम पैदा करके वह अपनी प्रॉडक्ट बिकवा ते है की जिससे उन लोगो का फायदा हो सके। 


    Seller अपना फायदा देखते हुए कभी कभी आपको टॉफी देंगे की जो उनको 20 रुपये में 100 से ज्यादा मिलती हे। ऐसे भी Seller अपना फायदा करेंगे। आपने मॉल मे से 1000/- का शर्ट ख़रीदा पर उसकी प्राइज टैग पर तो 999/- लिखा होता हे पर फिर भी आप तो 1000/- देकर ही आओ गए ना?माम लों आपने  1/- रूपया ले लिया, पर 90 % लोग नहीं लेंगे,

    अब आप खड़े हो तो बेठ जाये और अपने फ़ोन को कस के पकड़ लीजिये क्योकि अब में जो बताने जा रहा हु उससे कई आप या आपका फ़ोन गिर ना जाये।

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    Big Bazaar

    India में Big Bazaar  के 250 आउटलेट हे।अगर प्रतिदिन सारे आउटलेट में 100 लोग भी अपना एक एक रूपया भी छोड़ कर जाये गे तब भी उनकी टोटल वेल्यू 25000/- रुपये होगी वो भी बिना कुछ बेचे।

    अब उन 25000/- को 30 दिनों से मल्टीप्लाइ करे तो 7,50,000/- रुपये होंगे, और कही पे भी बिल में या बुक में उन 7,50,000/- रुपियो का हिसाब नहीं होगा यानि सीधा Black Money होगा। 

    पर हम एक रूपया छोड़ते क्यों हे ? क्योकि हम सोचते हे की इतने बड़े मोल में से 1000/- की खरीदी की हे अगर में 1 रूपया मांगूगा तो आसपास वाले मेरे बारे में क्या सोचेंगे, मेरा स्टेटस क्या रहेंगा, तब हम यह भूल जाते हे की 1 रुपये से हम हमारे बालो में नवरत्न तेल लगा सकते हे , xerox भी एक रुपये में होती हे , हम किसी गरीब की मदद कर सकते हे , अगर देश के आधे नागरिक भी सरकार को 1 रूपया दे तो करीब करीब 67 करोड़ रुपये होंगे ताकि देश को और तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है। 

    हम जो पैसा मोल में छोड़ें ते है वो पैसा शॉप के मालिक के पास या फिर Sales Men की जेब में जाता है और कुछ नहीं। 

    हमे उनको मदद करनी हे की जो गरीब हे,ना की उनकी, जो पहले से ही अमीर हे,देश का कड़वा सत्य हे की हम सब्जी वाले और जो लोग सड़क पे लोरी चला कर अपने परिवार को पालते हे उससे तोलमोल करते हे और मोल में ऐसे ही छूटे पैसे मोल वालो पर लुटा कर आते हे। ऐसे कई और तथ्य जानने के लिए निचे क्लिक करे। 


      यह भी पढ़े :-   
      जब भी आप किसी मोल या ऐसी जगह पर जाये तब पेमेंट क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ही करे ताकि वस्तु के प्राइज टेग जितनी ही पेमेंट आप आसानी से कर पाए और जब आपको ऐसा करते हुए लोग देखेंगे तो सोचेंगे की भाई यह बंदा Digital India में जी रहा हे जिससे आपका स्टेटस और इम्प्रेशन बनी रहेगी। ओर लोगों को डिजिटल इंडिया बनने की सोच भी उनके मन में पैदा होगी।

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      Use Online App & Build  Imprecation and Status

      हो सके उतना घर से ही छुट्टे पैसे लेकर जाये ताकि छुट्टे पैसे की मगजमारी ही खत्म हो जाए। अन्यथा या फिर Online App के माध्यम से ही पेमेंट करे ताकि आपको Cash Back भी मिलता रहे ।


      My Opinion & Conclusion : - 

      मेरी राय बस इतनी हे,की आप जरूर 1 रूपिया उन लोगो से लीजिये यह हमारा और आप का हक़ हे। हक़ को हम गर्व से मांग सकते हे इसमें शर्म की कोई बात नहीं हे,अगर आपको 1 रूपया लेते हुए लोग देखेंगे तो वह लोग भी Seller के पास से अपना पैसा जरूर मांगेगे। बस शुरुआत मुझे और आपको करनी हे।

      यह सब बेचनेवालो की चाल होती हे की जिससे उनका मुनाफा बढे और हमारे से ज्यादा खरीदी करवा सके,पर यह भी कुछ गलत नहीं हे यह एक ट्रिक ही हे।पर हमें खरीदते समय ध्यान रखना हे, और वस्तु के साथ उनके प्राइज को भी अच्छे से देख कर खरीदना हे। ताकि हमारा बजट बना रहे। यह मेरा Conclusion  हे.  

      आप मेरी बातो से सहमत हो तो मुझे कमेंट  करके जरूर बताएगा। India Coverage इसी तरह से आप को जागृत करता रहेगा और आगे भी आपका मुनाफा बढ़ाने की कोशिश करता  रहेगा। धन्यवाद् ।



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