Belt drive और Chain drive के बीच का अंतर। Difference between Belt drive & Chain Drive in Hindi।

Belt drive क्या है।

बेल्ट ड्राइव एक प्रकार की Frictional Drive है जिसमें power और motion का ट्रांसमिशन एक शाफ़्ट से दूसरी शाफ़्ट में friction के द्वारा किया जाता है।

बेल्ट ड्राइव में Pulley और Belt का उपयोग होता है। इस ड्राइव में जब बेल्ट और पुली के बीच फ्रिक्शन पैदा होता है तब वो power और motion को एक shaft से दूसरी shaft में transmit करता है।

Chain drive क्या है। 

एक ऐसी ड्राइव जिसमे Driven pulley को driver pulley से Chain के माध्यम से घुमा सके। चैन ड्राइव का प्रयोग short distance पे power को transmit करने के लिए किया जाता है। यानी की इस ड्राइव का इस्तेमाल Motorcycle और  Bicycle जहा कम distance है वाहा किया जाता है। Chain drive एक Rigid Link से मिलकर बनी होती है। और ये रिजिड लिंक Hinge Joint के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े होते है। 


अब हम देखेंगे बेल्ट ड्राइव और चैन ड्राइव के बीच का अंतर। 


Belt drive Chain drive
बेल्ट ड्राइव एक फ्रिक्शन ड्राइव है। जिसमें मोशन और पॉवर का ट्रांसमिशन बेल्ट और पुली के बीच फ्रिक्शन पैदा करके किया जाता है। चैन ड्राइव एक इंगेजमेंट ड्राइव है। जिसमें मोशन और पावर का ट्रांसमिशन चेन और स्प्रोकट के द्वारा किया जाता है। जिसमें चेन जो है वो स्प्रॉकेट के बीच में फस कर चलता है।
यह ड्राइव एक नेगेटिव ड्राइवर है। यह ड्राइवर एक पॉजिटिव ड्राइवर है।
बेल्ट ड्राइव में पॉवर के ट्रांसमिशन में फ्लक्ट्यूएशन देखने को मिलता है जैनड्राइव में पावर का ट्रांसमिशन में फ्लक्युएशन ना के बराबर होता है।
इस ड्राइव का प्रयोग मध्यम और ज्यादा अंतर की दूरी के लिए किया जाता है। इस ड्राइव का प्रयोग कम और मध्यम दूरी के लिए किया जाता है।
तापमान और मौसम का बेल्ट ड्राइव पर असर देखने को मिलता है। तापमान और मौसम का चैन ड्राइव पर कोई असर देखने को नहीं मिलता।
इस ड्राइव की मेंटेनेंस कॉस्ट कम होती है। इस ड्राइव की मेंटेनेंस कॉस्ट बेल्ट ड्राइव की तुलना में ज्यादा होती है
इस ड्राइव की मजबूती कम होती है क्योंकि इसमें रबर और प्लाई लैदर का प्रयोग किया जाता है। यह ड्राइव बेल्ट ड्राइव की तुलना में अधिक टिकाऊ और मजबूत होती है क्योंकि यह मेटल की बनी होती है।
पावर का लॉस इस ड्राइव में ज्यादा देखने को मिलता है। इस ड्राइव में पॉवर का लॉस कम होता है।
बेल्ट ड्राइव की लाइफ कम होती है। क्योंकि इसमें बेल्ट के टूटने के और घिसने के चांस ज्यादा होते हैं। चैन ड्राइव की लाइफ बेल्ट ड्राइव की तुलना में ज्यादा होती है।
इस ड्राइव में लुब्रिकेशन की आवश्यकता नहीं होती। इस ड्राई में नियमित रूप से लुब्रिकेशन की जरूरत होती है।
इस ड्राइव में पॉवर का ट्रांसमिशन तीनों डायरेक्शन में एक साथ किया जाता है। इस ड्राइव के प्रयोग से पॉवर का ट्रांसमिशन तीनों डायरेक्शन में एक साथ नहीं किया जा सकता।
इस ड्राइव की एफिशिएंसी 92% से 95% जितनी होती है। इस ड्राइव की एफिशिएंसी 98% जितनी होती है।
इस ड्राइव का प्रयोग ट्रेडमिल, मिल उद्योग और सिलाई मशीन में किया जाता है। इस ड्राइव का प्रयोग बाइक, ऑटो मोबाइल में किया जाता है।

Kalpesh Solanki

नमस्कार दोस्तों, इस ब्लॉग को बनाने का मेरा मुख्य हेतु भारत के यानी मेरे देश के लोगो को हिंदी भाषा में जानकारी देना है। में ब्लॉग इसलिए लिखता हूं ताकि में लोगो को सही ओर सटीक जानकारी इंग्लिश की बजाय हिंदी में दे सकु। में किसी भी निश्चित टॉपिक पे अपना ब्लॉग नहीं बनाता। मुझे जो भी अच्छा लगता है में उसी पे ब्लॉग बनाना पसंद करता हूं। ओर कहीं बार में ऐसे भी ब्लॉग लिखना पसंद करता हूं जिसमें मुझे भी थोड़ा बोहोत सीखने को मिले। तो दोस्तो में ये उम्मीद करता हूं कि आपको भी हमारा ब्लॉग पसंद आता होगा।

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